Saturday, April 4, 2009

मैं अक्सर सोचता हूँ कि क्या हमारे एक अरब लोगों के देश में ५४२ साफ़ सुथरे लोग नहीं मिल सकते सब राजनीतिक पार्टियों को मिला कर?
मैं सोचता हूँ कि इस देश में जहाँ सभी पार्टियाँ जाति और धर्म के लोगों कि गिनती के आधार पर प्रत्याशियों को टिकट देती हैं, चुनाव बिना धार्मिक भावनाओं के कैसे हो सकते हैं? क्या यह सभी कुछ झूठ का पुलंदा नहीं है? क्यों हम मुद्दों , प्रत्याशियों की काबिलियत और उनके चरित्र, सेवा भाव, देश की प्रति निष्ठा और जनसाधारण के लिए अच्छी भावना की बिन्हा पर टिकट नहीं देते? और फिर यह कैसे आशा करते हैं की जनता सही लोगों को अपना मत दे जब अच्छे लोगों को नहीं बल्कि 'जीत' सकने वाले लोगों को टिकट मिलते हैं, चाहे वो बाहुबली और जाने माने अपराधी या देशद्रोही ही क्यों न हों?
मैं सोचता हूँ की क्या समाचार पत्रों की मतदाताओं को अच्छे प्रत्याशियों को मत देने की नसीहतें ऐसे वातावरण में कामयाब हो सकेंगी जब ऐसे प्रत्याशी हैं ही नहीं?

No comments:

Post a Comment